एक छोटा प्रयास... वीरों की गाथा गाऊं,जो बीती दिनों से है जानी पहचानी अमरत्व प्रेम की है वो मूर्ति देश की खातिर लुटाए जो जवानी है नमन ऐसे वीरों को जिन्होंने याद दिलाई हर दुश्मन की नानी बहाकर उनके कलेजे से लहु बन गए वो खुद वीर बलिदानी रहकर दूर अपनो से वो शौर्य-वीरता की दे गए निशानी आज़ाद भगत व लाला सँग चमक गयी प्यारी झाँसी की रानी जल - थल-नभ चहु ओर इनकी ही है बुलंद रवानी रग- रग से है छलकता देश प्रेम कह रही अंजली बनकर दीवानी लिख रही हूँ कलम से आज शौर्य-वीरों की अद्भुत कहानी जिससे थर्रा गई है रूह और भर आया है आँखों मे पानी.... अंजली श्रीवास्तव एक प्रयास