Nojoto: Largest Storytelling Platform

बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केद

बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं पढ़िए इससे जुड़ी कथा !! 🎪🎪 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
केदारनाथ धाम :-  🚩 केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम है। अब बात करते है केदारनाथ के इतिहास की। बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं? इसलिए आज हम आपको केदारनाथ मंदिर का संपूर्ण इतिहास बताएँगे।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास :-  🚩 महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों का पश्चाताप कुरुक्षेत्र की भूमि पर 18 दिनों तक लड़े गए महाभारत के भीषण युद्ध के बारे में भला कौन नही जानता। इस युद्ध में सभी रिश्तों की बलि चढ़ गयी थी फिर चाहे वह गुरु-शिष्य का रिश्ता हो या भाई-भाई का या चाचा-भतीजे का। 18 दिनों तक निरंतर कुरुक्षेत्र की भूमि कौरव व पांडवों की सेना के रक्त से लाल हो गयी थी।
(Rao Sahab N S Yadav}
🚩 महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात विजय तो अवश्य ही पांडवों की हुई थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि उन्होंने भी बहुत कुछ खो दिया था। युद्ध समाप्ति के कुछ समय बाद, जब सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर युद्ध के परिणामों व प्रभावों के बारे में चर्चा कर रहे थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पश्चाताप करने को कहा। श्रीकृष्ण के अनुसार पांडवों के ऊपर ब्रह्महत्या, गौत्रहत्या, कुलहत्या, गुरुहत्या इत्यादि कई पाप चढ़ चुके थे। इसके लिए उनका प्रायश्चित करना आवश्यक था। पांडवों ने इसका उपाय पूछा तो श्रीकृष्ण ने बताया कि उन्हें इन पापों से मुक्ति केवल भगवान भोलेनाथ ही दे सकते हैं। इसके पश्चात, सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से भगवान शिव से मिलने काशी नगरी की ओर चले गए।

पांडवों के द्वारा भगवान शिव की खोज :- 🚩 श्रीकृष्ण के आदेशानुसार सभी पांडव भगवान शिव की नगरी काशी (बनारस या वाराणसी) पहुंचे। हालाँकि भगवान शिव को पांडवों के उनसे मिलने आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी लेकिन वे उनसे मिलना नही चाहते थे। भगवान शिव पांडवों के द्वारा किये गए ब्रह्महत्या व गौत्रहत्या के पाप से अत्यधिक क्रोधित थे, इसलिए वे पांडवों से बिना मिले ही वहां से चले गए। पांडवों ने काशी नगरी में भगवान शिव को हर जगह ढूंढा लेकिन वे उन्हें नही मिले। इसके बाद सभी पांडव हिमालय के पहाड़ों पर बसे उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में चले गए। भगवान शिव भी पांडवों से छुप कर यहीं आये थे।

भगवान शिव ने लिया बैल रुपी अवतार :- 🚩 जब भगवान शिव ने पांडवों को अपने पीछे-पीछे गढ़वाल क्षेत्र की ओर बढ़ते हुए देखा तो उन्होंने इसका एक उपाय निकाला। वहां पहाड़ों के बीच कई पशु घास के मैदान में चर रहे थे। भगवान शिव उन पशुओं के बीच में गए और बैल रुपी अवतार ले लिया ताकि पांडव उन्हें पहचान ना पाए। भीम ने पकड़ा भगवान शिव के बैल रुपी अवतार को गढ़वाल के पहाड़ों पर भी पांडवों ने भगवान शिव को हर जगह ढूंढा लेकिन वो उन्हें नही मिले। अंत में महाबली भीम को एक उपाय सूझा और उसने अपना शरीर पहाड़ों से भी बड़ा कर लिया। उसने अपना एक पैर एक पहाड़ी पर और दूसरा पैर दूसरी पहाड़ी पर टिकाया और गहनता से महादेव को ढूंढने लगा।

🚩 भीम के विशालकाय रूप को देखकर पहाड़ों के सभी पशुओं में हलचल पैदा हो गयी और वे इधर-उधर भागने लगे लेकिन एक बैल अपनी जगह पर स्थिर खड़ा रहा। उस बैल पर भीम के विशालकाय रूप का कोई प्रभाव नही दिखा। यह देखकर भीम समझ गया कि यहीं बैल महादेव का रूप है जो बैल का अवतार लेकर हमसे छिप रहे हैं। महादेव को भी पता चल गया कि भीम ने उन्हें पहचान लिया है। यह देखकर वे बैल रुपी अवतार के साथ धरती में समाने लगे। भगवान शिव के बैल अवतार को धरती में समाते देख भीम तेजी से उनकी ओर लपका और बैल की पीठ अपने हाथों से जकड़ ली।

🚩 भीम के द्वारा बैल की पीठ अपने हाथों में जकड़े जाने के कारण वह वही पर रह गयी जबकि बैल के अन्य चार भाग उत्तराखंड के चार अन्य स्थलों पर निकले। आज उन्हीं स्थलों पर चार अन्य केदार हैं। इनमें भगवान शिव के बैल रुपी अवतार का मुख रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में व जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुई थी। इन्हीं पाँचों जगहों को सम्मिलित रूप से पंचकेदार के नाम से जाना जाता हैं।

केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया :- 
🚩 भीम के द्वारा भगवान शिव के बैल अवतार की पीठ पकड़े जाने के बाद वह वही रह गयी थी। जब उन्हें बैल के बाकि चार अंग चार अन्य स्थानों पर प्रकट होने का ज्ञान हुआ तब उन्होंने शिव की महिमा को समझ लिया। इसके बाद पांडवों के द्वारा ही इन पाँचों जगहों पर शिवलिंग की स्थापना कर शिव मंदिरों का निर्माण करवाया गया। इससे भगवान शिव सभी पांडवों से अत्यधिक प्रसन्न हुए और उन्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया।

🚩 हालाँकि इसके बाद पांडवों के पोते जन्मेजय ने केदारनाथ मंदिर के निर्माण को और आगे बढ़ाया और यहाँ आम लोगों को पूजा करने की अनुमति प्रदान की। इसलिए केदारनाथ मंदिर के निर्माण में जन्मेजय का भी योगदान था। समय के साथ-साथ पांडवों के द्वारा बनाया गया यह मंदिर जर्जर हो गया व कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया। फिर जब भारत की भूमि पर आदि शंकराचार्य ने जन्म लिया तब उनके द्वारा संपूर्ण भारत भूमि की पैदल यात्रा की गयी व चारों दिशाओं में चार धाम की स्थापना की गयी।

🚩 तब आदि शंकराचार्य ने ही इस केदारनाथ मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था जिसे आज हम देखते हैं। इसके बाद अपने जीवन के अंतिम समय में आदि शंकराचार्य ने इसी केदारनाथ मंदिर के पास ध्यान लगाया था व समाधि ले ली थी। उनकी समाधि आज भी केदारनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है। फिर दसवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच कई भारतीय राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

🚩 हालाँकि 2012 में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर के आसपास के ढांचे को बहुत क्षति पहुंची थी। इस प्राकृतिक आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि भी बह गयी थी। इसके बाद भारत व उत्तराखंड की सरकारों के द्वारा केदारनाथ धाम, आदि शंकराचार्य की समाधि व उसके आसपास के स्थलों को पुनः ठीक करवा कर उसे नवीन रूप दिया गया।

©N S Yadav GoldMine #City बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं पढ़िए इससे जुड़ी कथा !! 🎪🎪 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
केदारनाथ धाम :-  🚩 केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम है। अब बात करते है केदारनाथ
बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं पढ़िए इससे जुड़ी कथा !! 🎪🎪 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
केदारनाथ धाम :-  🚩 केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम है। अब बात करते है केदारनाथ के इतिहास की। बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं? इसलिए आज हम आपको केदारनाथ मंदिर का संपूर्ण इतिहास बताएँगे।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास :-  🚩 महाभारत युद्ध के पश्चात पांडवों का पश्चाताप कुरुक्षेत्र की भूमि पर 18 दिनों तक लड़े गए महाभारत के भीषण युद्ध के बारे में भला कौन नही जानता। इस युद्ध में सभी रिश्तों की बलि चढ़ गयी थी फिर चाहे वह गुरु-शिष्य का रिश्ता हो या भाई-भाई का या चाचा-भतीजे का। 18 दिनों तक निरंतर कुरुक्षेत्र की भूमि कौरव व पांडवों की सेना के रक्त से लाल हो गयी थी।
(Rao Sahab N S Yadav}
🚩 महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात विजय तो अवश्य ही पांडवों की हुई थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि उन्होंने भी बहुत कुछ खो दिया था। युद्ध समाप्ति के कुछ समय बाद, जब सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ बैठकर युद्ध के परिणामों व प्रभावों के बारे में चर्चा कर रहे थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पश्चाताप करने को कहा। श्रीकृष्ण के अनुसार पांडवों के ऊपर ब्रह्महत्या, गौत्रहत्या, कुलहत्या, गुरुहत्या इत्यादि कई पाप चढ़ चुके थे। इसके लिए उनका प्रायश्चित करना आवश्यक था। पांडवों ने इसका उपाय पूछा तो श्रीकृष्ण ने बताया कि उन्हें इन पापों से मुक्ति केवल भगवान भोलेनाथ ही दे सकते हैं। इसके पश्चात, सभी पांडव भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से भगवान शिव से मिलने काशी नगरी की ओर चले गए।

पांडवों के द्वारा भगवान शिव की खोज :- 🚩 श्रीकृष्ण के आदेशानुसार सभी पांडव भगवान शिव की नगरी काशी (बनारस या वाराणसी) पहुंचे। हालाँकि भगवान शिव को पांडवों के उनसे मिलने आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी लेकिन वे उनसे मिलना नही चाहते थे। भगवान शिव पांडवों के द्वारा किये गए ब्रह्महत्या व गौत्रहत्या के पाप से अत्यधिक क्रोधित थे, इसलिए वे पांडवों से बिना मिले ही वहां से चले गए। पांडवों ने काशी नगरी में भगवान शिव को हर जगह ढूंढा लेकिन वे उन्हें नही मिले। इसके बाद सभी पांडव हिमालय के पहाड़ों पर बसे उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में चले गए। भगवान शिव भी पांडवों से छुप कर यहीं आये थे।

भगवान शिव ने लिया बैल रुपी अवतार :- 🚩 जब भगवान शिव ने पांडवों को अपने पीछे-पीछे गढ़वाल क्षेत्र की ओर बढ़ते हुए देखा तो उन्होंने इसका एक उपाय निकाला। वहां पहाड़ों के बीच कई पशु घास के मैदान में चर रहे थे। भगवान शिव उन पशुओं के बीच में गए और बैल रुपी अवतार ले लिया ताकि पांडव उन्हें पहचान ना पाए। भीम ने पकड़ा भगवान शिव के बैल रुपी अवतार को गढ़वाल के पहाड़ों पर भी पांडवों ने भगवान शिव को हर जगह ढूंढा लेकिन वो उन्हें नही मिले। अंत में महाबली भीम को एक उपाय सूझा और उसने अपना शरीर पहाड़ों से भी बड़ा कर लिया। उसने अपना एक पैर एक पहाड़ी पर और दूसरा पैर दूसरी पहाड़ी पर टिकाया और गहनता से महादेव को ढूंढने लगा।

🚩 भीम के विशालकाय रूप को देखकर पहाड़ों के सभी पशुओं में हलचल पैदा हो गयी और वे इधर-उधर भागने लगे लेकिन एक बैल अपनी जगह पर स्थिर खड़ा रहा। उस बैल पर भीम के विशालकाय रूप का कोई प्रभाव नही दिखा। यह देखकर भीम समझ गया कि यहीं बैल महादेव का रूप है जो बैल का अवतार लेकर हमसे छिप रहे हैं। महादेव को भी पता चल गया कि भीम ने उन्हें पहचान लिया है। यह देखकर वे बैल रुपी अवतार के साथ धरती में समाने लगे। भगवान शिव के बैल अवतार को धरती में समाते देख भीम तेजी से उनकी ओर लपका और बैल की पीठ अपने हाथों से जकड़ ली।

🚩 भीम के द्वारा बैल की पीठ अपने हाथों में जकड़े जाने के कारण वह वही पर रह गयी जबकि बैल के अन्य चार भाग उत्तराखंड के चार अन्य स्थलों पर निकले। आज उन्हीं स्थलों पर चार अन्य केदार हैं। इनमें भगवान शिव के बैल रुपी अवतार का मुख रुद्रनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में व जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुई थी। इन्हीं पाँचों जगहों को सम्मिलित रूप से पंचकेदार के नाम से जाना जाता हैं।

केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया :- 
🚩 भीम के द्वारा भगवान शिव के बैल अवतार की पीठ पकड़े जाने के बाद वह वही रह गयी थी। जब उन्हें बैल के बाकि चार अंग चार अन्य स्थानों पर प्रकट होने का ज्ञान हुआ तब उन्होंने शिव की महिमा को समझ लिया। इसके बाद पांडवों के द्वारा ही इन पाँचों जगहों पर शिवलिंग की स्थापना कर शिव मंदिरों का निर्माण करवाया गया। इससे भगवान शिव सभी पांडवों से अत्यधिक प्रसन्न हुए और उन्हें सभी पापों से मुक्त कर दिया।

🚩 हालाँकि इसके बाद पांडवों के पोते जन्मेजय ने केदारनाथ मंदिर के निर्माण को और आगे बढ़ाया और यहाँ आम लोगों को पूजा करने की अनुमति प्रदान की। इसलिए केदारनाथ मंदिर के निर्माण में जन्मेजय का भी योगदान था। समय के साथ-साथ पांडवों के द्वारा बनाया गया यह मंदिर जर्जर हो गया व कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया। फिर जब भारत की भूमि पर आदि शंकराचार्य ने जन्म लिया तब उनके द्वारा संपूर्ण भारत भूमि की पैदल यात्रा की गयी व चारों दिशाओं में चार धाम की स्थापना की गयी।

🚩 तब आदि शंकराचार्य ने ही इस केदारनाथ मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था जिसे आज हम देखते हैं। इसके बाद अपने जीवन के अंतिम समय में आदि शंकराचार्य ने इसी केदारनाथ मंदिर के पास ध्यान लगाया था व समाधि ले ली थी। उनकी समाधि आज भी केदारनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है। फिर दसवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच कई भारतीय राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

🚩 हालाँकि 2012 में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर के आसपास के ढांचे को बहुत क्षति पहुंची थी। इस प्राकृतिक आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि भी बह गयी थी। इसके बाद भारत व उत्तराखंड की सरकारों के द्वारा केदारनाथ धाम, आदि शंकराचार्य की समाधि व उसके आसपास के स्थलों को पुनः ठीक करवा कर उसे नवीन रूप दिया गया।

©N S Yadav GoldMine #City बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न होता हैं कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया या केदारनाथ की कहानी क्या हैं पढ़िए इससे जुड़ी कथा !! 🎪🎪 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
केदारनाथ धाम :-  🚩 केदारनाथ धाम 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद से सैलानियों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हो चुका है। हालाँकि धार्मिक रूप से इसकी मान्यता पहले जैसी ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग, पंच केदार में एक केदार एवं उत्तराखंड के चार छोटे धामों में से एक धाम है। अब बात करते है केदारनाथ