महामारी का डर, कहीं ज्यादा कहीं कम ! समझने की शक्ति, क्यूं खो रहे हैं हम? कई प्रकार की भ्रांतियां फैला रही भ्रम ! भ्रमजाल के साये में सिमट, जी रहे हम !! आज महामारी की न है कोई दवा ! सुदृढ़ देह चाहे व्यायाम व शुद्ध हवा !! ।न जाने क्यूं किसने लगा दी पाबंदियां ? महामारी के हव्वा किसने क्यूं खड़ा किया ? दिल्ली उच्च न्यायालय निजी कार में अकेले को भी मास्क की दी हिदायत ! रोज़ प्रसारणों में देख रहे हैं सभी राजनैतिक जलसों में जारी सारी हिमाकत !! कानून सब के लिए बराबर, ये किताबों में लिखा रह गया है । कानून पर भी मनमाने अमल का साया, इतर इतर मंडराने लग गया है ।। ©Ashok Mangal #महामारी #AaveshVaani