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DaughtersDay मम्मा से कुछ ऐसा है रिश्ता, डाँटे वो

DaughtersDay मम्मा से कुछ ऐसा है रिश्ता, 
डाँटे वो चाहे जितना भी, 
ये आँखे हंसती रहती हैं। 
पर जब मैं गुस्सा हो जाऊँ उनसे तो, 
मुझे मनाने को आगे पीछे वो रहती हैं।
 गुस्से से मेरे वाकिफ़ है वो, 
सामान अगर बिख़रा हो तो, 
ना सोचेंगी, ना पूछेंगी, 
बस झट से वो ये कह देंगी, 
ये काम तो बस इसका ही है। 
वो कभी मेरी माँ होती हैं,
 तो कभी उन्हें मइया मैं कहती हू, 
पर फिर भी ना सुने अगर मुझे वो, 
तो नाम भी उनका लेती हूँ।
 जब देर से घर मैं आती हूँ,
 उन्हें फ़ोन नहीं कर पाती हूँ,
 तो सवाल यही बस उनका होता है, 
फ़ोन दिलाया गया क्यों है?
 जब खबर भी ना कर पाती हो। 
पहुँचने से पहले घर मेरे, 
चिंता में डूबी रहती हैं। 
नज़रें तो दरवाजे पर, 
पर मन मे मुझको सोचा करती हैं।
 पर देख सुरक्षित घर मुझको, 
उनकी वो चिंता डाँट बन जाती है।
मम्मा से कुछ ऐसा है रिश्ता,
 उनकी डाँट ही प्यारी लगती है।
 गोलू मोलू है मम्मा मेरी,
 उनकी हंसी ही दुनिया मे सबसे प्यारी लगती है ।।।।।।
@ashiyaduvanshi #mumma#or#mai 😍
DaughtersDay मम्मा से कुछ ऐसा है रिश्ता, 
डाँटे वो चाहे जितना भी, 
ये आँखे हंसती रहती हैं। 
पर जब मैं गुस्सा हो जाऊँ उनसे तो, 
मुझे मनाने को आगे पीछे वो रहती हैं।
 गुस्से से मेरे वाकिफ़ है वो, 
सामान अगर बिख़रा हो तो, 
ना सोचेंगी, ना पूछेंगी, 
बस झट से वो ये कह देंगी, 
ये काम तो बस इसका ही है। 
वो कभी मेरी माँ होती हैं,
 तो कभी उन्हें मइया मैं कहती हू, 
पर फिर भी ना सुने अगर मुझे वो, 
तो नाम भी उनका लेती हूँ।
 जब देर से घर मैं आती हूँ,
 उन्हें फ़ोन नहीं कर पाती हूँ,
 तो सवाल यही बस उनका होता है, 
फ़ोन दिलाया गया क्यों है?
 जब खबर भी ना कर पाती हो। 
पहुँचने से पहले घर मेरे, 
चिंता में डूबी रहती हैं। 
नज़रें तो दरवाजे पर, 
पर मन मे मुझको सोचा करती हैं।
 पर देख सुरक्षित घर मुझको, 
उनकी वो चिंता डाँट बन जाती है।
मम्मा से कुछ ऐसा है रिश्ता,
 उनकी डाँट ही प्यारी लगती है।
 गोलू मोलू है मम्मा मेरी,
 उनकी हंसी ही दुनिया मे सबसे प्यारी लगती है ।।।।।।
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