मुद्दतें हुईं...दरो-दीवार तरस रहीं....चहचहाने को... बच्चों..... तुम जबसे परदेस गए हो कमाने को .. आंखों में धुंधलापन ठहर सा गया है , लगता है आखिरी पड़ाव आ सा गया है , अब तो चले आओ.... बूढ़े मां बाप का चेहरा याद आता नहीं ??? ऐसे गए हो तुम सब ...अब हम खंडहरों के पास .. कोई आता नहीं , बचपन की तुम्हारी अठखेलियां याद कर जी रहे हैं , इन यादों की झपकी खुलते कुछ नजर आता नहीं.... मुद्दतें हुईं.... कोई आता नहीं।। ये ख़ाली सोफ़े शिकायत करते हैं कोई आता नहीं... #कोईआतानहीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba #yqquotes #yqdada