"करो यतन सखी साई मिलन की ll गुरिया गुरवा सुप सुपलिया l त्यज दे लरीकैया खेलन की ll देव पितर और भुईया भवानी l यह मारग चौरासी चलन की ll ऊँचा महल अजब रंग बंगला l साई की सेज वहॉं लगी फूलन की ll तन मन धन सब अर्पण कर वहॉं l सुरत सम्भार पर पईया सजन की ll कहैं कबीर निर्भय होय हंसा l कुनजी बता दो ताला खुलन की ll 🌼कबीर वाणी 🌼 123 ©Virendra Kumar साहेब