गमो पैरहन भरम ओ शिकस्त बेरहम जाना वसियत मे जाने कैसे आ गया ये गम जानाँ ??..!!! ज़रूरत नहीं है तुझे अब हुस्न से मिरा सामना करने की जाँ लुटा चुके है पहली नज़र मे हम जानाँ उन्हे शक़ हो गया तिरी इश्क़ -ए- बारिश मे भीग आये है आने लगी हमको तो इतनी शरम जाना..!!! तेरी सज़ा खाके मज़ा आया ,और और है क्या ?? खुशियो ने करके रखा था नाक मे दम जानाँ..!!! मिरे साथ निकला करो तो सुनो शर्मा जाया करो देख ना पाये सिवा मेरे कोई तुमको बेरहम जानाँ...!!!! तिरी वफ़ा के दीवाने हम पिला दो हमे बेवफ़ाई इतनी ज़रूरी है दूर करना भी मेरा ये वहम जानाँ..!!! मिरी छाती पे रखके हाथ खाओ अब कसम जाना शब- ए- मिलन ए हमदम इसी जनम जानाँ..!!!! ©haquikat enjoy life