प्यार को अपने शहर में बसने का न्योता दिया था दिल की जमीन दी और मुफ्त में सौदा किया था। सामान लेकर आ गया वो भी करके पूरी तैयारियाँ संग ले आया रंज-ओ-गम तपश फिक्र बेकरारियाँ ऐसा तो हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। आज तक सदमें में हूँ वो प्यार ही था या धोखा था। प्यार को अपने शहर में बसने का न्योता दिया था दिल की जमीन दी और मुफ्त में सौदा किया था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 08.10.2020 न्योता