हाँ...'लड़की' हूँ मैं बहन,बेटी,माँ,पत्नी सब रूप मुझ से ही निर्मित हैं लक्ष्मी रूप में पूजी भी जाती हूँ पर...'मन' का कहने पर पाबंदी है आवाज़ मेरी पुरुष अहम् द्वारा घोंटी जाती है स्वतंत्रता मेरी,स्वच्छंदता बता तिरस्कृत होती है 'लड़की हो' कहकर... परम्परा की बेड़ियों में क़ैद कर दी जाती हूँ...! Muनेश...Meरी✍️🌿 👉6 से 8 पंक्तियों में ' लड़की ' ( female पर आधारित ) पर अपनी रचना करें । (4 फरवरी प्रतियोगिता विषय) 👉@ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें । 👉11:30 pm तक आपको रचना पोस्ट कर दें । 👉यह एक काव्य प्रतियोगिता है जिसमें कवियों को एक विषय दिया जायेगा जिससे सम्बंधित नियम उस विषय के caption में रहेगा । 👉@ प्रतिदिन एक रचना को विजयी घोषित किया जायेगा तथा नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम यदि दो रचनाओं में विभेद नहीं कर पाती है तो दोनों रचनाओं को सामान रूप से विजयी घोषित किया जायेगा । 👉रचना का चुनाव बिना किसी भेदभाव के नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम करेगी जिसपर कोई आपत्ति नहीं कर सकता । 👉यदि आपकी रचनाएँ नवरचना साहित्य पब्लिकेशन्स की टीम को निरंतर अच्छी लगती हैं तो आपकी रचना को हमारी मासिक प्रतियोगिता में स्थान दिया जायेगा ।