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ए शाम ये कैसी तेरी मनमानी अच्छी नही इतनी करना बेईम

ए शाम ये कैसी तेरी मनमानी
अच्छी नही इतनी करना बेईमानी
तू आते ही ढलने की बात करती है
तू उसकी यादें संग लाती है
मुझे रात के हवाले कर जाती है
सितम फिर ये रात ढाती है
मुझे रात से डर लगता है
तन्हाई बात से डर लगता है
जो टूटे एतबार से डर लगता है
मगर अब अहसास नया जगता है
तुझे खबर है अब सुर्ख शाम तू अब भी आए
मगर अंधेरी रातें डर न मेरा खोज पाए
रातें अब तक थी मेरे लिए अंधेरों की पहचान
जब तक थी उस जगमगाते जुगुनू से अनजान
क्या वो जुगुनू मेरे लिए चमकता है
चांद  चांदनी से नूर मेरे लिए उसमें भरता होगा
हां अब जब वो मुझसे बात करता है
वो बात कर के मुझे खास करता है
वो अपनी हंसी से मेरी मुस्कुराहट में
खिलखिलाहट भरता है
मेरे सहरा से जीवन में खुशियां आबसार करता है
मुझे निगाह भर देखकर सुर्ख मेरे हालत करता है
मुझे लगता है अब मैं भी हु
क्यों की वो मुझसे अब बात करता है

©kavya soni
  #Light वो #जुगुनू  
अब वो मुझसे  #बात करता है
मुझे वो यू #खास करता है
sujalsoni4767

kavya soni

Silver Star
New Creator

#Light वो #जुगुनू अब वो मुझसे #बात करता है मुझे वो यू #खास करता है #कविता

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