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हमारे शहरों में दो जिंदगियां बसती हैं साहब, एक ज

हमारे शहरों में दो जिंदगियां
बसती हैं साहब, 

एक ज़िंदगी वो जो ऊँचे आलिशान
घरों में रहकर भी खुश नहीं, 

जिनकी खुशियों की चाबी दौलत 
में कहीं खो गई है, 

दूसरी ज़िंदगी वो जिनके पास सर                        छुपाने के लिए जगह नहीं बेशक, 

मग़र ख़ुशी की भी कोई कमी नहीं, 

कमा लेते हैं शान और शौकत ये
शहर वाले नहीं कमा पाते तो बस
दौलत प्यार की।

©Gunjan Rajput
  हमारे शहरों में दो जिंदगियां
बसती हैं साहब, 

एक ज़िंदगी वो जो ऊँचे आलिशान
घरों में रहकर भी खुश नहीं, 

जिनकी खुशियों की चाबी दौलत 
में कहीं खो गई है,

हमारे शहरों में दो जिंदगियां बसती हैं साहब, एक ज़िंदगी वो जो ऊँचे आलिशान घरों में रहकर भी खुश नहीं, जिनकी खुशियों की चाबी दौलत में कहीं खो गई है, #Zindagi #thought #ValentinesDay #lifelessons #poetrycommunity #ज़िन्दगी #SelfishWorld #Life_experience

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