पैदा हुए हम यहां यहां पर हुए हम जवां, जिंदगी गुज़र जाए अपने भारत में वस यही है एक दुआ। दुश्मन तो दुश्मन थे अपनों से लगता है डर, जिन्हें भेजा तख्त पर वही बन बैठे सौदागर। बस यही है एक दुआ