#महादेव के ह्रदय को भा जाने वाली एक भक्त की अरदास पीर मेरी कोई समझ न सका है, महाकाल सिवा आपके कौन सगा है? मैं भटका हूं जाने कितनों के दरों में, मेरी लाज तेरे सिवा कोई बचा न सका है। मैं आया हूं सब कुछ लुटा के तेरे पास, करता हूं हवाले जो कुछ बचा है।। महाकाल तुझसे नहीं कुछ छुपा है, बड़ी आस लेकर आया हूं शरण में। सुझाया है सबने तेरा नाम भोले, पूंछा जिस-जिस से मैंने पता नाथ का। अब उभारो या डुबो दो कश्ती को मेरी, पतवार मेरी मगर तुम ही संभालो।। मेरे नाथ मुझको अब तो उठा दो, जो जीवन बचा है उसे अब संवारो। प्राण निकले मेरे उस घड़ी पास मेरे रहो, बना के दास अपना करीब अपने रखो। आलोक की प्रार्थना पर विलम्ब न करो, महादेव मुझको सदा अपने पास रखो।। ©आलोक अग्रहरि #प्रार्थना