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शहरों की गलियां में भी खाक छान ली,, ये तकदीर बेमतल

शहरों की गलियां में भी खाक छान ली,,
ये तकदीर बेमतलब जद्दोजहद करवाती है ,,
कभी दिन की दोपहर कभी रात के सन्नाटे,,
नौकरी भी कयी किस्म के दिन दिखाती है,,
कयी बार बदला घर का पता और शहर,,
ना जाने ये किन हालातों से मिलवाती है
जरा सा समझ आया माहौल तो तबादला
फिर से नये शहर की तैयारी शुरू हो जाती है

©Vickram
  ये नौकरी भी कैसे कैसे
दिन दिखाती है,,,,
vickram4195

Vickram

Silver Star
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ये नौकरी भी कैसे कैसे दिन दिखाती है,,,, #शायरी

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