महफ़िल तो अमीरों के हैं सजते रोज़, पर महफ़िल ग़रीबों के कहाँ हैं सजते रोज़, एक महफ़िल ग़रीबों के भी नाम हो जाए, चलो ! बिना आफ़ताब के हीं सुबह और शाम हो जाए #कविमनीष #NojotoQuote #कविमनीष