एक मोड़ ऐसा भी ©wine मैं एक स्त्री हूँ । हां मैं ही वो स्त्री हूँ जो समाज और संस्कृति को लेकर चलती हूँ ।पर जब एक मोड़ ऐसा आता जंहा मैं खुद को भूल जाना चाहती हूँ । मैं उन्मुक्त जीना चाहती हूं मैं आजाद रहना चाहती हूं मैं खुद अपनी जिंदगी का फैसला लेना चाहती हूं। पर अफसोस मैं कुछ नही कर पाती क्योंकि मैं अगर बहक गयी तो घर परिवार समाज उनके बारे मैं कोन सोचेगा । मेरी मानसिक स्थती अभी भी वहीँ उथल पुथल पड़ी है । पर फिर भी मैं साहस से भरी हूं के कब जिंदगी अपना मोड़ बदल ले...