हैरत नही कि मोहब्बत में क्या हुआ, आपने भी खत लिखे कमाल ये हुआ। अब नही वास्ता शहर की किसी भी नदी से, एक हमारा रिश्ता टूटा तो नया क्या हुआ। गम है कि हम मनाने नही गए गुलनाज को, खैर उनको इसका भी अफसोस नही हुआ। अब तो खत पढ़े जाते हैं याद किए जाते हैं, ख़्वाब कुछ टूट गए हमारे तो क्या हुआ। ©Siddharth kushwaha #ख़्वाब #टूटे_ख्वाब #तुम्हारे_बिना #वादें #तुम_और_मैं ❤️#कानपुर