'सम्बन्धों के ठंडे घर में' ---------------------------- सम्बन्धों के ठंडे घर में वैसे तो सबकुछ है लेकिन इतने नीचे तापमान पर रक्तचाप बेहद खलता है।। दिनचर्या कोरी दिनचर्या घटनायें कोरी घटनायें पढ़ा हुआ अख़बार उठाकर हम कब तक बेबस दुहरायें नाम मात्र को सुबह हुई है कहने भर को दिन ढलता है।। सहित ताप अनुकूलित घर में मौसम के प्रतिमान ढूंढते आधी उम्र गुज़र जाती है प्याले में तूफ़ान ढूंढते गर्म ख़ून वाला तेवर भी अब तो सिर्फ़ हाथ मलता है।। सजे हुए दस्तरख़्वानों पर मरी भूख के ताने-बाने ठहरे हुए समय सी टेबुल टिकी हुई बासी मुस्कानें शिष्टाचार डरे नौकर सा अक्सर दबे पांव चलता है।। -अमरनाथ श्रीवास्तव-