Nojoto: Largest Storytelling Platform

वोट हुं मैं फूल सी बवंडर हुं मैं धूल सी; कभी किस

 वोट हुं मैं फूल सी 
बवंडर हुं मैं धूल सी;
कभी किसी पार्टी का
कमल बन खिल जाती हुं;
कभी किसी हाथी का श्रिंगार
 बन मदमस्त झुमती हुं मैं;
किसी हाथ से फिर मुझे 
तोड़ दिया जाता है ;
जब सिकुड़ जाती हुं
सूख कर तब आपका झाड़ू
भूल करता है मुझे कचरा समझने की ;
फिर कोई किसान हल लेकर 
बीजता है मुझे अपने खेतों में 
और मैं फिर से फूल बन 
कमल सी खिल जाती हुं! 


 वोट की कीमत!
 वोट हुं मैं फूल सी 
बवंडर हुं मैं धूल सी;
कभी किसी पार्टी का
कमल बन खिल जाती हुं;
कभी किसी हाथी का श्रिंगार
 बन मदमस्त झुमती हुं मैं;
किसी हाथ से फिर मुझे 
तोड़ दिया जाता है ;
जब सिकुड़ जाती हुं
सूख कर तब आपका झाड़ू
भूल करता है मुझे कचरा समझने की ;
फिर कोई किसान हल लेकर 
बीजता है मुझे अपने खेतों में 
और मैं फिर से फूल बन 
कमल सी खिल जाती हुं! 


 वोट की कीमत!