तुम कलयुग के वासुदेव बने जब अंधकार छाया जग मे तब तुम शक्ति के पुँज बने । नन्हे कान्हा को गोकुल को भेज तुम कलयुग के वासुदेव बने ।। जब नगर बंद, डगर बंद था हर प्राणी घर में नजर-बंद था । ये कहर कोरोना काल का था घनघोर अंधेरा विकराल सा था।। मीलों तक कोई आस नहीं नन्हे कान्हा का कोई साथ नहीं ।। तब इस भिषण अंधकार मे एक प्रकाश का उदय हुआ । जहाँ दिप जलते ना थे वहाँ स्वयं ये सूर्य बना।। कर दिया विस्तार इसने अपने विराट स्वरूप का । गोद में समेट लिया सारे कान्हा को विष्णु का जो मजदूर रूप था ।। अन्न जल ओर कवच से भरपूर भेजी रथो की टोली थीं। हर नन्हे कान्हा को गोकुल पहुँचाने की ज़िद जो तुमने ले ली थीं।। अंधकार का अंत हुआ प्रकाश अब विधमान था। डंके बजे नगर नगर मे कोन ये महान था।। कोन है ये महाबली कान्हा को दिया जिसने वजूद हैं। कलयुग के इस वासुदेव का नाम सोनू सूद है।। हरे कृष्णा को हृदय में रखने वालों वासुदेव कृष्णा के कान्हा में बस्ते हैं। क्योंकि विराट् विष्णु के प्रान की भी सर्वप्रथम वासुदेव ही रक्षा करते हैं।। है कलयुग के वासुदेव शत कोटि तुम्हें प्रणाम मेरे कभी जो मैं कान्हा बना तो बचा लेना फिर प्रान मेरे।। © शिवराम सिंह #सोनू सूद #SonuSoodTheRealHero #SonuSood