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//कबड्डी// भोर भये उठते ही आज, कंबल सिरहा

        //कबड्डी//

भोर भये उठते ही आज,
कंबल सिरहाने रख दिया ।
इक तूफ़ान सा अंदर समेटे,
पन्नों को सम्हाल लिया ।
निकल पड़े अनभिज्ञ राह पर,
कुछ शब्दों से लड़ने ।।
        //कबड्डी//

भोर भये उठते ही आज,
कंबल सिरहाने रख दिया ।
इक तूफ़ान सा अंदर समेटे,
पन्नों को सम्हाल लिया ।
निकल पड़े अनभिज्ञ राह पर,
कुछ शब्दों से लड़ने ।।
calmkazi6439

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