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" ज़िन्दगी बस इस बसर में , कि तेरा ख्याल किस कदर ह

" ज़िन्दगी बस इस बसर में ,
कि तेरा ख्याल किस कदर है ,
चलो आईने से तपसिल कर ली जाये ,
तुम मुझे कहीं मेरी‌ नज़र से निहार तो नहीं रहे ,
जिक्र है कि ख्याल है तुम हो भी कि नहीं ,
तुम मुझे मिल के नहीं मिल रहे ,
जन्द सांसों का चलो हिसाब कर लिया जाये‌ ,
अब से तु मुझमें जिये मैं तुझ में ."

                      --- रबिन्द्र राम " ज़िन्दगी बस इस बसर में ,
कि तेरा ख्याल किस कदर है ,
चलो आईने से तपसिल कर ली जाये ,
तुम मुझे कहीं मेरी‌ नज़र से निहार तो नहीं रहे ,
जिक्र है कि ख्याल है तुम हो भी कि नहीं ,
तुम मुझे मिल के नहीं मिल रहे ,
जन्द सांसों का चलो हिसाब कर लिया जाये‌ ,
अब से तु मुझमें जिये मैं तुझ में ."
" ज़िन्दगी बस इस बसर में ,
कि तेरा ख्याल किस कदर है ,
चलो आईने से तपसिल कर ली जाये ,
तुम मुझे कहीं मेरी‌ नज़र से निहार तो नहीं रहे ,
जिक्र है कि ख्याल है तुम हो भी कि नहीं ,
तुम मुझे मिल के नहीं मिल रहे ,
जन्द सांसों का चलो हिसाब कर लिया जाये‌ ,
अब से तु मुझमें जिये मैं तुझ में ."

                      --- रबिन्द्र राम " ज़िन्दगी बस इस बसर में ,
कि तेरा ख्याल किस कदर है ,
चलो आईने से तपसिल कर ली जाये ,
तुम मुझे कहीं मेरी‌ नज़र से निहार तो नहीं रहे ,
जिक्र है कि ख्याल है तुम हो भी कि नहीं ,
तुम मुझे मिल के नहीं मिल रहे ,
जन्द सांसों का चलो हिसाब कर लिया जाये‌ ,
अब से तु मुझमें जिये मैं तुझ में ."