भीषण गर्मी में, खेतो में,मेड़ो में, देखा कुछ ऐसा, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! कैसे करते हैं यह काम, बिना थके,बिना आराम, लगातार वो भी बेनाम, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! हैं वो किसान, जो हैं, बेनाम मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! ना फ़िक्र कल की, ना घर की ही टेंसन, कैसे करते जीवन यापन, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! घर पर हैं, एक जवान लड़की, करनी अब हैं उसकी शादी, छाई घर पे हैं तंगहाली, कैसे होगी अब उसकी शादी, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! कर्ज लेकर कर दी, उसने शादी, कर्ज कैसे अब चुकायेगा, साहूकार के ताने खायेगा, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! उस किसान ने तंगहाली में, परेशानी में,ना कुछ सोचा, ना कुछ विचारा, साहूकार के तानो का मारा, लगा ली उसने फाँसी, क्या अन्नदाता ऐसे ही मारा जाएगा? मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! -आकिब जावेद भीषण गर्मी में, खेतो में,मेड़ो में, देखा कुछ ऐसा, मन ही मन सोच में पड़ा, वो छोटा बच्चा! कैसे करते हैं यह काम, बिना थके,बिना आराम, लगातार वो भी बेनाम,