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पंख रख कर हौसला उड़ने का न हुआ, के नोच लिए पर,दुनिय

पंख रख कर हौसला उड़ने का न हुआ,
के नोच लिए पर,दुनिया ने कुतर कुतर कर।

हुम् रेत की तरह हवा में उड़ते रहे
और शीशे की तरह टूटे बिखर बिखर कर ।

आसमान तक उड़ने की ख्वाइशें लेकर
रास्ते से लौट आये सीढ़ियां उतर उतर कर।

तुझे तो शायद मेरा नाम तक याद न हो
हमे हर गली याद है वहां से गुज़र गुज़र कर।

राज मस्ताना #ग़ज़ल
#पंख
#राजमस्तना
पंख रख कर हौसला उड़ने का न हुआ,
के नोच लिए पर,दुनिया ने कुतर कुतर कर।

हुम् रेत की तरह हवा में उड़ते रहे
और शीशे की तरह टूटे बिखर बिखर कर ।

आसमान तक उड़ने की ख्वाइशें लेकर
रास्ते से लौट आये सीढ़ियां उतर उतर कर।

तुझे तो शायद मेरा नाम तक याद न हो
हमे हर गली याद है वहां से गुज़र गुज़र कर।

राज मस्ताना #ग़ज़ल
#पंख
#राजमस्तना