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कहा से लाऊँगा दौलत मैं ##याप के लिये नहीं कर पाऊ

कहा से लाऊँगा दौलत 
मैं ##याप के लिये

नहीं कर पाऊंगा अब चाहतों 
कुछ आप के लिये

बदन तपता है मेरा रोज़ 
चंद सिक्को को

तुम्ही कहो मैं सुनू खुद की 
या सुनू आप के लिये

चाहता चाँद से ही करलू 
कुछ मैं गौर तलब

चाँद फिर चाँद कहा लगता
 मुझे आप के लिये

-Navdeep Panchal 'Shubh'
कहा से लाऊँगा दौलत 
मैं ##याप के लिये

नहीं कर पाऊंगा अब चाहतों 
कुछ आप के लिये

बदन तपता है मेरा रोज़ 
चंद सिक्को को

तुम्ही कहो मैं सुनू खुद की 
या सुनू आप के लिये

चाहता चाँद से ही करलू 
कुछ मैं गौर तलब

चाँद फिर चाँद कहा लगता
 मुझे आप के लिये

-Navdeep Panchal 'Shubh'