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शब-ए-माहताब में वो भी तरसता है तेरे दीदार को।

शब-ए-माहताब में वो भी तरसता है तेरे दीदार को।









बंधे गेसू भी चूमने को मचलते हैं लब-ओ-रूखसार को।।
‌ ,चंदन मिश्रा, #Mesmerizing
शब-ए-माहताब में वो भी तरसता है तेरे दीदार को।









बंधे गेसू भी चूमने को मचलते हैं लब-ओ-रूखसार को।।
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