ये सोच के अक्सर ही परेशान रहा हूँ मैं, "वो एक समय था जब इंसान रहा हूँ मैं" मैं भूला नहीं उसको, ये सच है मगर ए दोस्त, सच जान के ही सच से अनजान रहा हूँ मैं। मैं सोचता हूँ क्या तितलियां माफ़ करेंगी मुझको? प्यारे कई रंगों का शमशान रहा हूँ मैं। कर क़ैद सभी ख्वाबों को अपने ही भीतर फिर, ख़ुद अपनी ही ख़्वाहिश का *ज़िंदान रहा हूँ मैं। *ज़िंदान -cage, prison इस वक़्त मिरी कश्ती इक भँवर में है वरना सुन, हर तैरने वाले का अरमान रहा हूँ मैं। #ghazalgo_fakeera #yqbaba #yqdidi #ghazal #fakeera_series