बदली नहीं हूं मैं.. न हुई अलग ,न किसी को छोड़ा.. मैं ठहरी पुरानी सरल, रंगों में लिपटी.. नयापन भाता नहीं मुझे.. सहजता पे चढ़ा एक आवरण, विचारों की गर्द ओढ़े बस, सीख रही हूं दुनियादारी.. बस इसी उम्मीद पे कि जीवन के, अंतिम पड़ाव तक समझा पाऊं.. कि ____ ___ .... .…. #सरल#सहज #अंतिम_पड़ाव #मैं #रंग #विचार #तूलिका