कि मैं पीर बाबा के मजार पर बैठा था.. वो मन्दिर के आगे बैठीं थीं, मैं खान साहब का लड़का था वो पन्डित जी की लड़की थीं मैं कायल था उसके आँखों का वो मेरे नज़रों पर मरती थी,.. मैं खड़ा रहता था उसकी गली में वो छत पर चढ़ जाया करती थीं मैं #पूजा कर आता था मन्दिरों में वो भी मजारों पर मत्था टेक आती थीं वो होली पर मुझे रगं लगाती और वो खुद ईद की जश्न मनाती, मैं महाकाल के मन्दिर हो आता था वो हाजी अली हो आती थी वो मुझे वेद सिखाती, और मैं उसे कुरान की आयतें. मैं राम के भजन गाता था और वो मुझे खुद अजान सिखाती थी.. मैं मागंता था उसे मेरे रब से. और वो मुझे भगवान से मागती थी.. ये सब उन दिनों कि बात है . जब वो मेरी हुआ करती थीं part'-1 ©Kareem Ali #intimacy कि मैं पीर बाबा के मजार पर बैठा था.. वो मन्दिर के आगे बैठीं थीं, मैं खान साहब का लड़का था वो पन्डित जी की लड़की थीं मैं कायल था उसके आँखों का वो मेरे नज़रों पर मरती थी,.. मैं खड़ा रहता था उसकी गली में वो छत पर चढ़ जाया करती थीं