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वो मेरा हमदम, जिसकी झलक आज सदियों बाद मिली, ऐसा लग

वो मेरा हमदम, जिसकी झलक आज सदियों बाद मिली,
ऐसा लगा मानो अमावस की रात मे चाँद निकल आया। ऐसा ही लगता है जब किसी का दीदार बड़े समय बाद होता है। ये दो पन्क्तियाँ मैने शाम को करीब छह बजे के आसपास लिखी थी पर समय के अभाव में अभी प्रकाशित कर पाया। जो आपको भी किसी की याद दिलाए तो वाह ज़रूर करियेगा।

आपका अपना,
अंजान 'इकराश'

#YqBaba #YqDidi #Chaand #Deedaar #Amaavas
वो मेरा हमदम, जिसकी झलक आज सदियों बाद मिली,
ऐसा लगा मानो अमावस की रात मे चाँद निकल आया। ऐसा ही लगता है जब किसी का दीदार बड़े समय बाद होता है। ये दो पन्क्तियाँ मैने शाम को करीब छह बजे के आसपास लिखी थी पर समय के अभाव में अभी प्रकाशित कर पाया। जो आपको भी किसी की याद दिलाए तो वाह ज़रूर करियेगा।

आपका अपना,
अंजान 'इकराश'

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