एक शाम कुछ अधूरी सी एक हसरत,आधी-पूरी सी एक रेत का आशियाना है झरोखों मे टंगा, शामियाना है एक ख़्वाब ,नींद की प्यारी सी किसी लम्हे में,सदियां गुज़ारी सी एक आरज़ू,पागल दीवाना हुआ मयकश ये दिल,मयख़ाना हुआ #पारस #शाम #मयख़ाना