है जब चाहना तुझको, तो फिर दुश्वारियाँ कैसी, मेरी ख्वाहिशें तो आज भी, तेरे सज़दे में झुकती हैं, ना जाने क्यूँ, तेरे दिल में है, कसक कैसी, यूँ तो #तू मेरे ख़्वाबों की #जीनत है, ग़र सर-ए-बज़्म भी तू हो, तो हैरानियाँ कैसी..... है जब चाहना..... #ख्वाहिशें