तुम कौन सी दवा खा रहे हो तुम कौन सा परहेज करते हो दर्द छुपा लेते हो झूटी मुस्कान से तुम अपनी तमन्नायें कहाँ रखते हो जहाँ जाकर कभी लौट ना पाया रास्ते हवा हैं, तुम पाँव कहाँ रखते हो जहाँ आशियाँ बनाने थे अब बंजर जमीं हैं वो ख़्वाबों का महकमा कहाँ रखते हो तेरे अजीज़ हुआ करते थे अब अजीब है दिल संभाल के रखोगे ये वादा किया था अब उसके एक हज़ार टुकड़े कहाँ-कहाँ रखते हो #poetry #writeforlove #carein4words