कलम बहुत मचलती है दिल में बसी बातें कहने को झिलमिलाते हैं नैनों के सपने गीत और ग़ज़ल गाने को शब्दों के कारवाँ संग चलते हैं मेरे अस्तित्व को मुझसे मिलवाने को बादलों से भटक कर इक बूँद खो गयी थी जो कहीं उस बूँद को मंज़िल से मिलवाने को #kalam