Unsplash आज़ादी को,माता की,बलिदान हुए,हैं वीर यहाँ। डटकर रण में,दुश्मन पे,बनकर बरसे,शमशीर वहाँ।। नहीं किसी में,दया यहाँ,दनुज मनुज अब,दिखता बस है। हार-जीत अरु,पाप-पुण्य,लगता सब कुछ,इनके वश है।।1 कर्म यहाँ जो,करता है,सुनें बात,कभी न है करता । जो बात यहाँ,करता है,असल में वही तो है डरता।। सिंहों के शावक ही हैं,जो नहीं कभी,भी हैं डरते । हो काल सम्मुख भले भी,अगर खड़ा हँसकर हैं वरते।2 ©Bharat Bhushan pathak poetry poetry in hindi hindi poetry poetry lovers poetry on love