अपनी डायरी के पन्नों को अपना नाम लिखना सिखाया है मैंने! अपनी भाषा उनके रूह में उतारी है, अपनी स्मृतियां उनके हृदय में डाली है, अपनी कलम की हकलाहट दी है उन्हें। स्वयं से जन्म दिया है मैंने उनको एक नई आकृति, अलौकिक ज्ञान, और कुछ अधूरे अक्षर। खामोशी से गुनगुनाना सिखाया है मैंने और कुछ अपने हृदय का भार उनके सीने पर लादा हैं। पर उन कोरे पन्नों को क्या दिया? सबर के रैन तक का इंतजार और कुछ समय का और विकास, बिल्कुल एक माँ की भांति। अपनी रुह दी हैं मैंने उनको अपनी खुशियों और दुखों का क्षण क्षण दिया है और उन्हों ने क्या दिया? ज़िन्दगी का एहसास और प्रेम जो पूर्ण करती हैं मुझे! मेरी डायरी को बिल्कुल शिशु सा पाला है मैंने!❤️ For better view अपनी डायरी के पन्नों को अपना नाम लिखना सिखाया है मैंने! अपनी भाषा उनके रूह में उतारी है, अपनी स्मृतियां उनके हृदय में डाली है,