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श्लोक : ।।विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृ

श्लोक : ।।विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
रुग्णस्य चौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
अर्थात : प्रवास की मित्र विद्या, घर की मित्र पत्नी, मरीजों की मित्र औषधि और मृत्योपरांत मित्र धर्म ही होता है।

©KPJ Jhajii
  यह जीवन प्रेम पर अधारीत् है|
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KPJ Jhajii

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यह जीवन प्रेम पर अधारीत् है| #ज़िन्दगी

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