हर पुरुष में थोड़ा सा कान्हा होता है कुछ मीठी सी छेड़छाड़ का उसका इरादा होता है कभी-कभी कान्हा की तरह लड़कियों के हक में खड़ा होता है हां हर पुरुष में थोड़ा सा कान्हा होता है कनखियों से देखता है और प्यार से मुस्कराता है होली के हुड़दंग में गालों पर रंग लगाता है लेकिन लड़की को दुःखी देख कर हृदय में द्रवित हो जाता है पल भर में चेहरा उदास हो जाता है हां हर पुरुष में थोड़ा सा कान्हा होता है हर लड़की में राधा को ढूंढता है उसके साथ अठखेलियों करना चाहता है रुठ जाये जरा तो सौ बार मनाता है हां हर पुरुष में थोड़ा सा कान्हा होता है ©Beena Kumari #kanha#kanha