सोचा था इक दिन बड़े अफ्सर बन जाएंगे, किसे पता था घरों में कैद कबूतर बन जाएंगे, बहुत रौब से छोड़ा था गाँव, घर और परिवार, कहाँ खबर थी सब ठुकरा कर वापस गाँव ही आएंगे। © दिप्ती जोशी सोचा था इक दिन बड़े अफ्सर बन जाएंगे, किसे पता था घरों में कैद कबूतर बन जाएंगे, बहुत रौब से छोड़ा था गाँव, घर और परिवार, कहाँ खबर थी सब ठुकरा कर वापस गाँव ही आएंगे। #दिप्ती जोशी #nojotoquotes #hindishayari #lovequotes