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Unsplash सुनो जाना, दिसंबर फिर से जा रहा है, तेरी

Unsplash सुनो जाना, दिसंबर फिर से जा रहा है,
तेरी यादों का मौसम लिए आ रहा है।
वो दहलीज़ जहां तुमसे मिलना हुआ,
हर कोना वो आँखों में लाए जा रहा है।

चाँदनी रातों में बातों का सिलसिला,
ठंडी हवाओं का वो पहला नशा।
तेरे स्पर्श की गर्मी, वो ख़ामोश पल,
दिल के अंदर कुछ जलाए जा रहा है।

तुम्हारी हँसी के साए में जो दिन गुज़रे,
उन लम्हों की खुशबू चुरा रहा है।
पर हर जुदाई में छुपा है एक वादा,
नया जनवरी तुम्हें बुला रहा है।

सुनो जाना, ये पल को संभाल कर रखो,
दिसंबर तो बस कहानी सुना रहा है।
वो बीते दिनों की किताब का सफ़ा,
नई उम्मीदें लिखने का हौसला बढ़ा रहा है।

©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
Unsplash सुनो जाना, दिसंबर फिर से जा रहा है,
तेरी यादों का मौसम लिए आ रहा है।
वो दहलीज़ जहां तुमसे मिलना हुआ,
हर कोना वो आँखों में लाए जा रहा है।

चाँदनी रातों में बातों का सिलसिला,
ठंडी हवाओं का वो पहला नशा।
तेरे स्पर्श की गर्मी, वो ख़ामोश पल,
दिल के अंदर कुछ जलाए जा रहा है।

तुम्हारी हँसी के साए में जो दिन गुज़रे,
उन लम्हों की खुशबू चुरा रहा है।
पर हर जुदाई में छुपा है एक वादा,
नया जनवरी तुम्हें बुला रहा है।

सुनो जाना, ये पल को संभाल कर रखो,
दिसंबर तो बस कहानी सुना रहा है।
वो बीते दिनों की किताब का सफ़ा,
नई उम्मीदें लिखने का हौसला बढ़ा रहा है।

©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora