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मीले इस तरह जैसे कभी मिले न थे  मिले इस तरह जैसे



मीले इस तरह जैसे कभी मिले न थे 
मिले इस तरह जैसे कभी गिले न थे 
भुला दे जो भी दर्द है गुजरा 
एक नई राह की पहचान करते है
चल एक फिर मुलाकात करते है 


फलक का अफ़ताब ढलने लगा है 
सफर तेरे बिन अब खलने लगा है 
चल इसका भी कुछ निदान करते है 
आज एक फिर मुलाकात करते है


चल फिर दिलो के पर्दे नकाम करते है 
आज फिर एक मुलाकात करते है

यु ही तो नही कोई रिस्ता बनता 
यु हि कोई रास्ता किसी से न मिलता 
साथ मिलकर जिंदगी की पहेलियो को सुलझा सकते है 
पहले एक मुलाकात करते है।


छोड जहाँ हम मोड पे चले आये है 
देख जिंदगी आज भी वही पडी है 
एक ढेर है यादो का और कई सपने है 
चल सफर ये स्टार्ट करते है 
आज फिर मुलाकत फिर करते है

लेखक।
अमित कुमार

©Amit Kumar
  #Retro_Special