समंदर से भी गहरा अहसास जाने कितने शब्द और भाव..! रोज बनते बिगड़ते ख्वाब.. फिर भी कम ना हुई यादें..! कभी फुरसत में बैठो मेरे पहलू में. हो जाए इनकी भी मुलाकातें..! माना कि मेरा ये हक नहीं.. पर इन्हे रोक ना पाएंगे हम.. इसमें कोई शक नहीं..! ©Abha Anokhi # कल्पना