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#Labour_Day # मजदूर म- मेहनत

#Labour_Day                # मजदूर
   म-     मेहनत कश इंसान हूँ मैं,
ज-.   ज़िंदादिली से रहता हूँ,
  दू-    दूर रहकर परिवार से मैं,
            उनके सपने पूरे करता हूँ,
       र-     रात कटती है,फुटपाथ पर,
         पेट काट कर रहता हूँ, 
                मजदूर हूँ मैं, क्या दोष मेरा,
            जिन हालातो में रहता हूँ।
           तोड़ तोड़कर पत्थर को,
         घमंड उसका चूर करूं,
         जोड़कर छोटी ईंटों को,
           मजबूती की दीवार चिनूं,
           इस तपती गर्मी में भी मैं,
            कुदाल चला कर रहता हूँ,
           मजदूर हूँ मैं,किस्मत की,
     मजबूरी में रहता हूँ ।
          ना पैसो की खनक पता,
           ना रईसों की चमक पता,
           बस दो वक्त के खाने को,
           दिनभर खुद से लड़ता हूँ,
         मजदूर हूँ मैं,इंसान हूँ मैं,
              ख़ुदा की बस्ती में रहता हूँ ।
©ऋषि सिंह #Labour_Day 
#majdoor #gareeb #nojotohindi
#nojotopoems #hindipoem #rshayari #rkalamse
#Labour_Day                # मजदूर
   म-     मेहनत कश इंसान हूँ मैं,
ज-.   ज़िंदादिली से रहता हूँ,
  दू-    दूर रहकर परिवार से मैं,
            उनके सपने पूरे करता हूँ,
       र-     रात कटती है,फुटपाथ पर,
         पेट काट कर रहता हूँ, 
                मजदूर हूँ मैं, क्या दोष मेरा,
            जिन हालातो में रहता हूँ।
           तोड़ तोड़कर पत्थर को,
         घमंड उसका चूर करूं,
         जोड़कर छोटी ईंटों को,
           मजबूती की दीवार चिनूं,
           इस तपती गर्मी में भी मैं,
            कुदाल चला कर रहता हूँ,
           मजदूर हूँ मैं,किस्मत की,
     मजबूरी में रहता हूँ ।
          ना पैसो की खनक पता,
           ना रईसों की चमक पता,
           बस दो वक्त के खाने को,
           दिनभर खुद से लड़ता हूँ,
         मजदूर हूँ मैं,इंसान हूँ मैं,
              ख़ुदा की बस्ती में रहता हूँ ।
©ऋषि सिंह #Labour_Day 
#majdoor #gareeb #nojotohindi
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