स्वतंत्रता का मोल चुकाया, खोकर लाख सपूतों को। खोया हमने लाजपत और...., भगत सिंह से पूतों को। जलिया वाला बाग याद है...., कुंड भरा था लाशों से। कैसे कहूंँ मिली आजादी............, गांधी के प्रयासों से। सुखदेव, भगत सिंह, राजगुरु, हंसकर फांँसी झूले थे। पूरा भारत रोया था तब.........., नहीं दिवस वे भूले थे। झलकारी, चेमन्ना रानी................., गोरों से टकराई थी। लक्ष्मी और अंग्रेजो से भी........, जमकर हुई लड़ाई थी। बिरसा मुंडा, मंगल पाण्डेय........., और हज़ारों वीरों ने। अपने प्राण अर्पित कर दिए...., साधु संत फकीरों ने। बिस्मिल और सुभाष चन्द्र का, नारा याद दिलाता हूंँ। खून आज़ादी इंकलाब 'मन'...., सारा याद दिलाता हूंँ। यहांँ पावन भारत भूमि पर..., जन्म पाकर इतराता हूंँ। वीर शहीदों के चरणों में...., शत शत शीश झुकाता हूंँ। स्वतंत्रता का मोल चुकाया, खोकर लाख सपूतों को। खोया हमने लाजपत और...., भगत सिंह से पूतों को। जलिया वाला बाग याद है...., कुंड भरा था लाशों से। कैसे कहूंँ मिली आजादी............, गांधी के प्रयासों से। सुखदेव, भगत सिंह, राजगुरु, हंसकर फांँसी झूले थे। पूरा भारत रोया था तब.........., नहीं दिवस वे भूले थे। झलकारी, चेमन्ना रानी................., गोरों से टकराई थी।