यह पीड़ा मेरे अंतर्मन की है, यह स्याह रात एकाकीपन की है। बीच रात इस सर्द हवा में, ठिठुरन विचलित मन सी है। व्याकुल होती, ठहर जाती, किंचित वेदना अधूरेपन की है। पथ अकेला, गंतव्य एकाकी, शैया बिखरे जीवन की है। कुछ जलता है हौले-हौले अंदर, यह अग्नि नर्क की शायद मेरे अंदर ही है। यह स्याह रात एकाकीपन की है। #yqbaba #yqdidi #nark #lonliness