एक बेहतर कल एक बेहतर कल की तलाश में लम्हें गुज़रते रहे; पता भी ना चला तुम्हें, और जो कभी देखे थे सपने, वो बिना जिये ही एक एक कर बिखरते रहे। क्यों मुश्किल है कल की फिक्र छोड़ जीना आज में? क्यों हर पल आने वाले का सोचना, छोड़ उसे जो फिलहाल है पास में? उस कल के लिए जिसे किसी ने नहीं देखा है, वही जिसके होने नहीं होने में एक जीने मरने की रेखा है। उसके लिए हम हर घड़ी गिरते हैं, दौड़ते हैं; कुछ रिश्ते जोड़ते तो कुछ एक पल में ही तोड़ते हैं। बस इसी बेहतर कल की तलाश में, कुछ बेशकीमती लम्हें फिजूल हो जाते हैं। ज़िन्दगी अपनी रफ्तार में कहीं दूर निकल जाती हैं, और हम जी कर भी सही मायने में जीना भूल जाते हैं। Sainmk09 #a_batter_day