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दिल में छुपा रखीं हैं बचपन की चाहतें मुहब्बत से ज


दिल में छुपा रखीं हैं बचपन की चाहतें
मुहब्बत से जरा कह दो, बदली नहीं हूँ मैं

मेरे दोस्त मेरे आसमान के सितारें हैं
अंधियारों को जरा कह दो, रात की चांदनी हूँ मैं

विचार से लबरेज है, मेरी कलम की रोशनाई
गजल से जरा कह दो, आफ़ताब हूँ मैं! #गोलची

दिल में छुपा रखीं हैं बचपन की चाहतें
मुहब्बत से जरा कह दो, बदली नहीं हूँ मैं

मेरे दोस्त मेरे आसमान के सितारें हैं
अंधियारों को जरा कह दो, रात की चांदनी हूँ मैं

विचार से लबरेज है, मेरी कलम की रोशनाई
गजल से जरा कह दो, आफ़ताब हूँ मैं! #गोलची