हमसफ़र राह तुम्हारी क़दम मेरे हों, आँधी तूफ़ान या रेत के ढेरे हों, चलना हमेशा साथ- साथ। सही ग़लत का भेद कहीं न हो, अविश्वास का ज़हर कभी न हो, बस चलना तुम साथ- साथ। शहद से मीठे बोल भले न हों, पुराने वो खेल चाहे न हों, बस चलना तुम साथ- साथ। यौवन का सूरज चाहे ढल जाए, बसंती बयार साथ छोड़ भी जाए, बस चलना तुम साथ- साथ। मुश्किलों भरी राह हो, सिर्फ काँटें न कोई ग़ुलाब हो, फ़िर भी चलना तुम साथ- साथ। मंज़िल का भी पता न हो अगर, आसान या मुश्क़िल कैसी भी हो डगर, कभी न छोड़ना हाथ, बस चलना तुम साथ- साथ। बस चलना तुम साथ- साथ। (स्वरचित) dj कॉपीराई ©Divya Joshi ख़ून का रिश्ता तो नहीं…मगर उनसे कम भी नहीं… अपने अपने "हमसफ़र" के साथ पढ़ें और और लगे हाथ नीचे कॉमेंट्स में अपने विचार भी व्यक्त कर दें। हमसफ़र राह तुम्हारी क़दम मेरे हों,