केन्द्रीय विद्यालय में आज तीन वर्ष पूरे किये और इन तीन वर्षों ने मेरा व्यक्तित्व ही परिवर्तित कर दिया. कुछ पंक्तियो के सहारे अपने हृदय में उमड़े भावनाओ के सैलाब को स्थिरता देने का प्रयास किया हूँ आशाएं ... हृदय की जब टूट रही थी संघर्ष... जब जीवन का पर्याय बन चुका था अनगिनत असफलताएं.. जब निस्तेज कर चुकी थी मुझे अभिशापित... जब लगने लगा था जीवन दंश.. शूल बन कर चुभ रहे थे मित्र की बोलियाँ हे ईश्वर ... आपकी असीम अनुकम्पा से मैं केन्द्रीय विद्यालय संगठन का सदस्य बन पाया छात्र से अंग्रेजी का शिक्षक बन पाया बच्चों को बेहतर देने के लिए नित्य नये संकल्पों के साथ स्वयं को एक आधार दे पाया विद्वान सहकर्मियो का संसर्ग मिल पाया प्राचार्य से पुत्र समान स्नेह मिला आलोचना से सीख मिली प्रसंशा से उत्साह बढ़ा जीवन में गतिशीलता बढी व्यक्तिव में जब से केन्द्रीय विधालय जुड़ा जाने- अनजाने लोग जुड़े बच्चे तो अनमोल तारे जैसे हृदय में मेरे शामिल हुए..... Abhishek Rajhans ©Abhishek Rajhans मेरा केन्द्रीय विद्यालय