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नाम मेहंदी से हाथों पर रचाया उसने, फिर रोज मल मल क

नाम मेहंदी से हाथों पर रचाया उसने,
फिर रोज मल मल कर मिटाया उसने,
ये कैसा इश्क़ है उसका कम्बख़त,
पहले आग लगा फिर बुझाया भी उसने।।
नाम मेहंदी से हाथों पर रचाया उसने,
फिर रोज मल मल कर मिटाया उसने,
ये कैसा इश्क़ है उसका कम्बख़त,
पहले आग लगा फिर बुझाया भी उसने।।